कोशिका का परिचय हिन्दी में।

हेलो!दोस्तो आज हम बात करेंगे कोशिका के बारे में।
जिस प्रकार कोई भी छोटा या बड़ा मकान असंख्य ईंटों व पत्थरों से बना होता है, उसी प्रकार प्रत्येक जीव का शरीर भी एक  या अनेक सूक्ष्म इकाइयों से निर्मित होता है। प्रत्येक जीवधारी के शरीर की निर्माणकारी एवं कार्यात्मक इकाई को विज्ञान की भाषा में कोशिका (Cell) कहते है। कोशिकीय अध्ययनों में प्रकाश  सूक्ष्मदर्शी व इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी तथा अन्य तकनीकों जैसे एक्स-रे विवर्तन (X-Ray diffraction ) स्पेक्ट्रमी प्रकाशमापी की (Spectrophotometry) आदि के आविष्कारों से अभूतपूर्व प्रगति हुई है। जीवन का वस्तुपरक अध्ययन करने के लिये उसकी

 रचनात्मक इकाई अर्थात कोशिका की आधारभूत संरचना तथा  कार्य का ज्ञान आवश्यक है। कोशिकीय अध्ययनों के संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि उच्च तकनीकों के विकास के साथ ही यह  तथ्य भी कम महत्वपूर्ण नहीं है कि कई अध्ययनों जैसे कोशिका विज्ञान, आणविक जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी आदि के लिये वैज्ञानिकों ने वृहद शरीरधारी जीवों के बजाय सूक्ष्मजीवों को  अधिक उपयुक्त पाया है। सूक्ष्म जीवों का आसान रखरखाव, इनकी रचनात्मक सरलता तथा अल्पावधि में कई पीढ़ियों का सुगम अध्ययन इनकी वैज्ञानिक उपयोगिता को सिद्ध करते हैं।

कोशिका कि खोज-
कोशिका की खोज रॉबर्ट हुक (Robert Hooke) ने 1665 में बोतल के काग (Cork) के एक बारीक परिच्छेद का स्वनिर्मित सूक्ष्मदर्शी से अध्ययन करते हुए की। उसने काग की  मृत कोशिकाओं से निर्मित प्रकोष्ठों को देखा और उनको सेल्यूली (Cellular) कहा। बाद में इन्हीं को कोशिका (Cell) नाम दियागया। जीवित कोशिका को सर्वप्रथम देखने का श्रेय हॉलेण्ड निवासी एन्टॉन वान ल्यूवेनहॉक को है जिसने 1674 में सजीव कोशिकाओं जैसे बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ तथा शुक्राणुओं को सूक्ष्मदर्शी से देखा तथा इनको एनीमलक्यूल (Animalcule) कहा।  अंग्रेज वनस्पति रॉबर्ट ब्राउन ने 1831 में ट्रैडेस्केन्शिया की कोशिकाओं में सघन गोलाकार या अण्डाकार केन्द्रक की खोज की।


कोशिका सिध्दान्त -
कोशिका सिद्धान्त (Cell Theory) कोशिका विज्ञान में अभिरूचि पैदा होने के पश्चात जर्मन वनस्पतिज्ञ मैथियास श्लाइडेन (1838) ने विभिन्न पादपों में ऊतकों का अध्ययन करके यह निष्कर्ष निकाला कि ऊतकों का निर्माण कोशिकाओं से होता है। इसी क्रम में जर्मनी के एक जन्तु वैज्ञानिक थियोडोर श्वान (1839) ने विभिन्न जन्तु ऊतकों का

अध्ययन किया एवं पाया कि पादप व जन्तु दोनों कोशिकाओं का आंतरिक संगठन लगभग समानता प्रदर्शित करता है। दोनों वैज्ञानिकों ने सामूहिक निष्कर्ष पर पहुँच कर बताया कि पादपों तथा जन्तुओं के शरीर कोशिकाओं एवं उनके उत्पादों से बने होते हैं। इसे कोशिका सिद्धान्त (Cell Theory) नाम दिया। रुडोल्फ विरचौ (1955) ने बताया कि नई कोशिकाओं कानिर्माण अपनी पूर्व कोशिकाओं के विभाजन से होता है (Omnis कोशि cellula-e-cellula)| बाद में कोशिका सिद्धान्त को नेगेली (1846) एवं रुडोल्फ विरचो (1855) ने नये रूप में इस प्रकार अथव प्रस्तुत किया-
1. सभी जीव कोशिकाओं तथा उनके उत्पादों से बने होते हैं।
2. नवीन कोशिकाओं का निर्माण पूर्ववर्ती कोशिकाओं (Pre बिक existing cells) के विभाजन से होता है।
3. कोशिका सजीव शरीर की रचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई है।
 4. कोशिका में जीव के आनुवंशिक गुण निहित होते हैं।
 5. पीढ़ी दर पीढ़ी जीवन के सातत्य (Continuity) का एक्टिन संचालन कोशिकाओं द्वारा होता है।

कोशिका और विषाणु(वायरस)-
वायरस की संरचना को कोशिका सिद्धान्त से नहीं मध्यव्ती समझाया जा सकता। अतः इनको इसका अपवाद भी कहा जा सकता है। विषाणु (वाइरस) कोशिका सिद्धान्त के अपवाद है। कोशिका सिध्दान्त और विषाणु में अन्तर-
   1. इनमें स्वतंत्रता विभाजन की क्षमता नहीं पाई जाती है। इनके विभाजन के लिये दूसरी जीवित कोशिका आवश्यक होती हैं। 
2. इनमें प्लाज्मा झिल्ली, कोशिका द्रव्य, विकर (एन्जाइम),कोशिकीय अवयव इत्यादि अनुपस्थित होते हैं
3 इनमें सामान्यतः केवल एक केन्द्रक अम्ल डीएनए अथवा आरएनए पाया जाता है। कोशिका में दोनों केन्द्रक अम्ल पाये जाते हैं।

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