कोशिका भित्ति का स्थूलन,उत्पत्ति,वृद्धि व रासायनिक परिवर्तन।

हेलो!दोस्तो आज हम बात करेंगे कोशिका भित्ति के स्थूलन,उत्पत्ति,वृद्धि व रासायनिक परिवर्तन के बारे में।
कोशिका भित्ति का स्थूलन (Thickening of cell wall)-
प्राथमिक भित्ति की आन्तरिक सतह पर द्वितीयक भित्ति बनती है। इस प्रक्रिया के दौरान स्थूलन होता है। यह स्थूलन ये विभिन्न स्वरूपों में होता है जो इस बात पर निर्भर करता है कि भित्ति पर अलग-अलग तरह के पदार्थ किस-किस स्थान पर स्थित हैं। यह स्थूलन सामान्यतया लिग्निन, सेल्यूलोस, हैमीसेलूलोस, सुबेरिन आदि पदार्थों के जमाव के कारण होता है। संवहन का कार्य करने वाली कोशिकाओं जैसे वाहिकाओं में स्पष्ट स्थलन पाया जाता है। पादपों की मृदूतक, दृढ़ोतक, वाहिका वाहिनिका, चालनी नलिका, सहकोशिका आदि में स्थूलन सभी स्थानों पर समान मोटाई का होता है परन्तु कुछ विशेष स्थानों पर नहीं होता है जहाँ पर छिद्र या गर्त बन जाते हैं। ये गर्त (Pits) दो प्रकार के होते हैं-
(अ) सरल गर्त (Simple pits) :-
मृदूतक, चालनी नलिका, सहकोशिओं में दो आसन्न कोशिकाओं के बीच की कोशिका भित्ति में, जोड़ों में , आमने-सामने गर्त पाये जाते हैं जिनके बीच स्थित गर्त झिल्ली के माध्यम से जल एवं घुलित पदार्थों का आवागमन होता है। ये गर्त लम्बाई में बेलनाकार एवं गोल होते हैं।
(ब) परिवेशित गर्त (Bordered pits):-
इसमें दो आसन्न कोशिकाओं की द्वितीयक भित्ति फूलकर गर्त के चारों ओर गोल मेहराब के समान उठी होती हैं। जिसे बार्डर कहते हैं। इस बार्डर के बीच लैंस के आकार का छिद्र पाया जाता है जिसे गर्त या छिद्र कहते हैं | आमने-सामने के गर्तों के बीच एक गर्त झिल्ली पायी जाती है; जो पतली प्राथमिक भित्ति एवं मध्य पटलिका होती है। इसका केन्द्रीय भाग थोड़ा स्थूलित होता है जिसे टोरस कहते हैं। सतही दृश्य में इस गर्त के दो घेरे दिखाई देते हैं। टोरस द्रव्यों के वितरण पर नियंत्रण रखता है। जब द्रव्य का दबाव गर्त के दोनों ओर समान होता है तो दोनों छिद्र खुले रहते हैं। दबाव में परिवर्तन होने से टोरस एक तरफ खिसक कर एक ओर से छिद्र को ढक कर बन्द कर सकता है। इस तरह यह कपाट की तरह कार्य करता है। परिवेशित गर्त जाइलम की वाहिकाओं एवं वाहिनिकाओं में होते हैं।

कोशिका भित्ति की उत्पत्ति (Origin of cell wall)-
कोशिका विभाजन की अंतिम अवस्था, अन्त्यावस्था (Telophase) में गॉल्जीकाय, अन्त द्रव्यी जालिका एवं इनके वेसीकल्स द्वारा कोशिका पट्ट (Phragmoplast) का निर्माण होता है जो मध्य पटलिका (Middle lamella) बनाती है जिस पर क्रमशः प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक कोशिका भित्ति का निर्माण होता है।

कोशिका भित्ति की वृद्धि (Growth of cell wall)-
कोशिका भित्ति की दो प्रकार से वृद्धि होती है। कणाधान एवं स्तराधान (Intussusception and apposition)। प्राथमिक कोशिका भित्ति पर जब तंतुओं के बीच-बीच में नए पदार्थ जमा होते हैं तो उसे कणाधान एवं जब पदार्थ स्तरों के रूप में जमा होते हैं तो उसे स्तराधान कहते हैं।

कोशिका भित्ति में रासायनिक परिवर्तन-
प्राथमिक कोशिका भित्ति पर विभिन्न प्रकार के पदार्थों का जमाव होने से उसमें रासायनिक परिवर्तन होते रहते हैं जिनमें से निम्न प्रमुख हैं-
1. स्थूलकोण ऊतक कोशिकाओं की भित्ति पर सेलूलोज़ एवं पेक्टिन का जमाव होता है।
2. वाहिकाओं वाहिनिकाओं एवं दृढ़ोतक कोशिकाओं में लिग्निन का जमाव होता हैं।
3. अधिचर्म पर क्यूटिन के जमाव से जल के लिए अपारगम्य पर्त उपचर्म (Cuticle) बन जाती है, जो वाष्पोत्सर्जन  कम करने में मदद करती है।
4. कार्क कोशिकाओं की भित्ति सुबेरिन के जमाव से वह जल के लिए पूर्ण रूप से अपारगम्य हो जाती है।
5. कभी-कभी सेलुलोज श्लेष्मी पदार्थ रूपान्तरित हो जाता है जो जल को लम्बे समय तक संचित रख सकता है।
6. कुछ पदार्थों में कोशिका भित्ति की दृढ़ता के लिये उस पर सिलिकॉन, कैल्शियम कार्बोनेट, कैल्शियम ऑक्सलेट एवं अन्य खनिज पदार्थ जमा हो जाते हैं।

Comments

Popular posts from this blog

प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकाओं का परिचय व अन्तर।

कोशिका भित्ति संरचना एवं कार्य।

कोशिका का परिचय हिन्दी में।