प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकाओं का परिचय व अन्तर।

हेलो!दोस्तो आज हम बात करेंगे प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकाओं के बारे मे
असीम केन्द्रक की व ससीमकेन्द्रकी कोशिकाएं(Prokaryotic and Eukaryotic cells) -
विकास एवं केन्द्रक की संरचना के आधार पर कोशिका दो प्रकार की होती हैं-

1)प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं (Prokaryotic cells)-
(Pro= प्रारम्भिक Primitive, Karyon=नाभिक nucleus) नील हरित शैवाल, जीवाणु एवं माइकोप्लाज्मा की कोशिकाओं में झिल्ली युक्त सुसंगठित केन्द्रक तथा झिल्ली युक्त कोशिकाओं का अभाव होता है।
एक प्रोकैरियोटिक कोशिका में केन्द्रक समतुल्य अंगक को प्रोकैरियोन या केन्द्रकाभ (Nucleoid) कहा जाता है। आनुवंशिक पदार्थ एक वर्तुल (Circular) जीवाण्वीय गुणसूत्र के रूप में व्यवस्थित न्यूक्लिक अम्ल होते है। हिस्टोन प्रोटीन का अभाव होता है। इनमें सूत्री विभाजन नहीं पाया जाता है। सामान्यतः प्रोकैरियोटिक कोशिका का बाह्य आवरण (कोशिका आवरण) त्रिस्तरीय होता है: 

(1) बाह्य परत (2) कोशिका भित्ति (5) जीवद्रव्य कला है। बाह्य परत ग्लाइको कैलिक्स से बनी होती है जो कठोर  आवरण के रूप में संपुटिका या कैप्सूल और ढीले या नरम  आवरण के रूप में अवपंक परत (Slime layer) कहलाती है, जो पॉलीसैकेराइड से बनी होती है। कोशिका भित्ति संरचनात्मक  आवरण का कार्य करती है जो कि पेप्टिडोग्लाइकन के कारण मजबूत होती है। जीवद्रव्य कला प्रोकैरियोटिक कोशिका के अन्दर की तरफ स्थित होती है जो कि अर्द्धपारगम्य प्रकृति की होती है एवं वसा, प्रोटीन (लाइपो प्रोटीन) एवं ओलिगोसैकेराइड से बनी दो होती है। जीवद्रव्य कला श्वसन, प्रकाश संश्लेषण, लिपिड संश्लेषण तथा अन्य जटिल उपापचयी क्रियाओं का स्थल होती  है। प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में श्वसन व अवशोषण के लिए कला से निर्मित त्रिस्तरीय संरचना मीजोसोम या मध्यकाल (Mesome) पायी जाती है। कुछ स्वपोषी प्रोकैरियोट्स में वर्णक, लवक में न होकर लेमैली (Lamellae) में होते हैं जो प्रकाश संश्लेषण एवं नाइट्रीकरण का कार्य करते हैं। कोशिका द्रव्य में - साइनो फायसीयन कण, ग्लाइकोजनकण, फॉस्फेट कण, पॉली हाइड्रोक्सीब्यूटाइरेट कण, सल्फर कण, कार्बोक्सीसोम एवं गैसधानी मौजूद होते हैं। राइबोसोम 70S प्रकार के होते हैं जिनमें 50S तथा 30S की दो उपइकाइयाँ होती है। इनका नाप 14-15 x 20mm तक होता है। आनुवंशिक पदार्थ नग्न डीएनए तथा कुछ आरएनए के रूप में होता है। हिस्टोन प्रोटीन का अभाव होता है। मोनेरा जगत के सदस्य जैसे सत्य जीवाणु, साइनोजीवाणु, आर्की जीवाणु, माइकोप्लाज्मा, एक्टीनोमाइसीट इत्यादि हैं।

2)यूकैरियोटिक कोशिका (Eukaryotic Cell)-
(Eu=well, Karyo-nucleus= सुगठित केन्द्रक) इस प्रकार की कोशिकाएं जिनमें सुसंगठित केन्द्रक एवं र्द्विस्तरीय कोशिकांग जैसे हरितलवक, माइटोकॉन्ड्रिया,  गॉल्जीकाय, अंतःर्द्रव्यी जालिका आदि पाए जाते हैं उन्हें यूकैरियोटिक या ससीमकेन्द्रकी कोशिकाएं कहते हैं। सूत्री विभाजन पाया जाता है। केन्द्रक में एक या एक से अधिक केंद्रिक Nucleolus) पाये जाते हैं। आनुवंशिक पदार्थ गुणसूत्रों के रूप में संगठित होता है, जिनका निर्माण डीएनए, नॉन हिस्टोन एवं हिस्टोन प्रोटीन से होता है। राइबोसोम 70s तथा 80S दोनों प्रकार के होते हैं। 70S प्रकार के राइबोसोम माइटोकॉन्ड्रिया एवं हरित लवक में पाए जाते है, जबकि 80S के राइबोसोम कोशिका द्रव्य में होते है। ये 40S तथा 60S इकाइयों से निर्मित होते हैं। सामान्यतया यूकैरियोटिक कोशिका की जीवद्रव्य कला के

अन्दर का जीवित पदार्थ 'जीवद्रव्य' कहलाता है जिसमें केन्द्रक के अतिरिक्त शेष पदार्थ कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) कहलाता है। इसमें विभिन्न कोशिकांग पाये जाते हैं जैसे माइटोकॉन्ड्रिया, गुणसूत्रों गॉल्जीकाय, अंत:द्रव्यी जालिका, लवक, लाइसोसोम, परऑक्सीसोम, ग्लाइऑक्सीसोम, स्फीरोसोम, राइबोसोम,  सेन्ट्रोसोम (प्राणि कोशिकाओं में) रिक्तिका आदि। उदाहरण अधिकतर जन्तु एवं वनस्पति कोशिकाएं। एक सामान्यीकृत पादप कोशिका में पाये जाने वाले सभी कोशिकाओं को निम्नलिखित फ्लो चार्ट में स्पष्ट किया गया है-
कुछ लेखक, गॉल्जीकाय तथा अंतःव्यी जालिका को दोहरी झिल्ली वाले कोशिकांग मानते हैं, लेकिन डी.रॉबर्ट (1975; 2006) तथा सेलवान ने EM व अन्य अध्ययनों के आधार पर यह स्पष्ट किया है कि ये दोनों अंगक एक झिल्ली द्वारा ही परिबद्ध होते हैं। अब सभी लेखक इससे सहमत हैं।प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकाओं में अंतर-

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