कोशिका भित्ति संरचना एवं कार्य।


  हेलो!दोस्तो आज हम बात करेंगे    कोशिका भित्ति{cell wall} के बारे में।

कोशिका भित्ति (Cell Wall) पादप कोशिकाओं का सुनिश्चित आकार दृढ़ बाह्य आवरण शक के कारण होता है। इस चरण को कोशिका भित्ति कहते हैं। इसका संगठन एवं प्रकृति इसके कार्य के अनुरूप अलग-अलग में अन होती है। जैसे कवकों की कोशिका भित्ति पोलिसैकेराइड काइटिन या कवक सेलूलोस से बनी होती है जबकि शैवाल कोशिका भित्ति सेलुलोज एवं पेक्टिन से बनी होती है। कोशिका भित्ति का गठन निम्न प्रकार से होता है -                                                  1. मध्य पटलिका (Middle lamella)
        2. प्राथमिक भित्ति (Primary wall).                            3. द्वितीयक भित्ति (Secondary Wall).                        4. तृतीयक भित्ति (Tertiary wall).

1.मध्य पटलिका (Middle lamella)-
मध्य पटलिका (Middle lamella) कोशिका विभाजन के पश्चात दो संतति कोशिकाओं के बीच बनने वाली यह प्रथम भित्ति है जो दो आसन्न कोशिकाओं को जोड़े रखती है तथा दोनों की साझा भित्ति होती है। यह रवाहीन (amorphous) और जेली समान पदार्थ कैल्शियम व मैग्नीशियम के पेक्टेट से बनी होती है। फलों के पकने के समय यह घुल जाती है जिससे पके फल कोमल हो जाते हैं।

2. प्राथमिक भित्ति (Primary Wall)-
 पतली, लचीली एवं कोमल होती है। यह सेलूलोज, हेमीसेलूलोस एवं पेक्टिन आदि कार्बोहाइड्रेट्स से बनी होती हैं। यह अत्यन्त जटिल सूक्ष्म तन्तुओं के जाल, जो जैली समान आधात्री के रूप में व्यवस्थित होते हैं, से बनी होती है। इसकी मोटाई 4 से 15 माइर्कोन है। इसमें वृद्धि एवं विस्तार की क्षमता होती है। 

3. द्वितीयक भित्ति (Secondary wall)-
कुछ विशेष कोशिकाओं में वृद्धि समाप्त होने पर उनके जीवद्रव्य द्वारा प्राथमिक भित्ति के स्थूलित एवं सुदृढ़ होने के उपरान्त द्वितीयक भित्ति का निर्माण होता है। इसमें लिग्निन, सुबेरिन एवं अन्य कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा अधिक होती है। सेलुलोज एवं पेक्टिन कम मात्रा में पाये जाते हैं। इसमें अकार्बनिक लवण, टैनिन, गोंद, मोम, कैल्शियम लवण, सिलिका, क्युटिन आदि पदार्थ भी पाये जाते हैं। द्वितीयक भित्ति वाहिका, वाटिका एवं दृढोतक में लिग्निन युक्त होती है। यह कोशिका को सुदृढ़ता प्रदान करती है।
4. तृतीयक भित्ति (Tertiary wall)-
 यह जिम्नोस्पर्स की वाहिनिकाओं में जाइलान से बनी होती है। यह द्वितीयक भित्ति के अन्दर की ओर स्थित होती है तथा कोशिकाओं में बहुत ही कम पायी जाती हैं। यह जीवद्रव्य के सूखे स्तर को प्रदर्शित करती हैं।

कोशिका भित्ति की परासंरचना (Ultra structure of cell wall)-
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से अध्ययन करने पर कोशिका भित्ति में मुख्यततः दो प्रमुख भाग पाये जाते हैं-
1. रेशक या फाइब्रिल्स 2. आधारी पदार्थ या मैट्रिक्स

1. रेशक या फाइब्रिल्स (Fibrils)-
ये सेलुलोज से बने तन्तु होते हैं। एक सेलुलोज अणु का निर्माण 3 हजार ग्लूकोस अणुओं से होता है। 100 सेल्यूलोस अणु मिलकर एक मिसेल या माईसिली (Micelle) का निर्माण करते हैं। 20 मई सिली मिलकर एक सूक्ष्मतन्तुक (Microfibril) बनाते हैं। 250 माइक्रो फाइब्रिल से एक गुरु तन्तुक (Macrofibril) बना होता है जिसका व्यास 250A होता है। इन रेशकों के मध्य मैट्रिक्स भरा रहता है। ये रेशे प्राथमिक भित्ति में अनुप्रस्थ जबकि द्वितीयक भित्ति में अक्ष के समान्तर होते हैं।

2. मैट्रिक्स या आधारीय पदार्थ (Matris)-
प्राथमिक एवं द्वितीयक कोशिका भित्ति के बीच अक्रिस्टलीय एवं जैल समान आधारीय माध्यम पदार्थ पाया जाता है जिसमें जल, ग्लाइकोप्रोटीन, पैक्टिन एवं हेमीसेलूलोस होते है। इस पदार्थ को मैट्रिक्स या आधारीय पदार्थ कहते हैं। इसमें गोंद, रेजिन, टैनिन, मोम एवं सिलिका भी हो सकते हैं। पादप कोशिकाओं की स्थूल भित्ति में जगह-जगह पर सेल्यूलोज की परत का अभाव होता है। वहाँ भित्ति में सूक्ष्म गर्त बन जाते हैं। उन्हें प्राथमिक गर्त (Primary pits) कहते हैं। ये दो आसन्न कोशिकाओं में आमने सामने होते हैं। इनमें से होकर
बारीक जीवित जीवद्रव्य तन्तु आरपार जाते हैं और आसन्न े कोशिकाओं के जीवद्रव्य को परस्पर सम्बन्धित करते है। इनका जीवद्रव्य तन्तु (Plasmodesmata) कहते हैं। इनमें प्लाज्मा झिल्ली का स्तर तथा डेस्मोटयब्यूल के रूप में अंतःर्द्रव्यीजालिका पाई जाती हैं। प्लाज्मोडेस्मैटा के द्वारा आसन्न कोशिकाओं में कोशिका द्रव्य की निरन्तरता बनी रहती है। ऐसी स्थिति में कोशिका द्रव्य को प्रायः संद्रव्य (Symplasm) कहते हैं। इसके विपरीत अंतराकोशिक स्थल जिनमें अजैव पदार्थ विद्यमान होते अपद्रव्य(Apoplast) कहलाता है।

कोशिका भित्ति के कार्य (Function Of cell wall)-
एक सामान्य पादप कोशिका भित्ति के निम्न प्रमुख कार्य हैं- 1. कोशिका को निश्चित आकृति एवं आकार प्रदान करना।
2. कोशिका को यांत्रिक शक्ति प्रदान करना।                      3. जीवद्रव्य एवं कोशिकाओं की प्रतिकूल स्थिति में सुरक्षा करना।
4. अन्तरकोशिकीय पदार्थों का संवहन प्लाज्मोडेस्मैटा द्वारा होता है।
5. कोशिकाओं के मध्य जीवद्रव्यीतन्तु की सहायता से परासरणीय दाब का सन्तुलन बनाये रखती है।

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