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Showing posts from February, 2020

कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)

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हेलो!दोस्तो आज हम बात करेंगे   कोशिका झिल्ली (Cell Membrane) के  बारे में। कोशिका झिल्ली (Cell Membrane)- सभी कोशिकाओं में जीवद्रव्य के चारों ओर विभेदक पारगम्य, विद्युत आवेशित, चयनात्मक झिल्ली पायी जाती है, जो मुख्यतः वसा एवं प्रोटीन से बनी होती है, जिसे सी. क्रेमर एवं नेगेली (1855) ने कोशिका कला एवं प्लोव ने जीवद्रव्य कला कहा। जीवद्रव्य कला की संरचना के बारे में विभिन्न मत प्रचलित है- 1.कोशिका कला-सेण्डविच प्रतिरूप- सर्वप्रथम डेनीयली एवं डॉवसन (1938) ने इसकी संरचना सेंडविच समान बतायी थी। जिसमें दो सघन प्रोटीन परतों के बीच वसा का स्तर पाया जाता है। प्रोटीन परतें 20-25A मोटी होती हैं जबकि वसा का स्तर जो इनके बीच में स्थित होता है उसकी मोटाई 30-35A होती है। जीवद्रव्य कला 70-80A मोटी एकक परत होती है। प्रोटीन परतें एक अणु मोटी एवं जलस्नेही (Hydrophilic) होती हैं। फॉस्फोलिपिड (वसा) की परत में अणुओं की दो पंक्तियां विपरीत दिशा की ओर होती हैं। प्रत्येक फॉस्फोलिपिड अणु में एक जलविरागी (Hydrophobic) अध्रुवीय सिरा बीच की तरफ होता है।   2.एकक या इकाई कला प्रति...

कोशिका भित्ति का स्थूलन,उत्पत्ति,वृद्धि व रासायनिक परिवर्तन।

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हेलो!दोस्तो आज हम बात करेंगे   कोशिका भित्ति के स्थूलन,उत्पत्ति,वृद्धि व रासायनिक परिवर्तन  के  बारे में। कोशिका भित्ति का स्थूलन (Thickening of cell wall)- प्राथमिक भित्ति की आन्तरिक सतह पर द्वितीयक भित्ति बनती है। इस प्रक्रिया के दौरान स्थूलन होता है। यह स्थूलन ये विभिन्न स्वरूपों में होता है जो इस बात पर निर्भर करता है कि भित्ति पर अलग-अलग तरह के पदार्थ किस-किस स्थान पर स्थित हैं। यह स्थूलन सामान्यतया लिग्निन, सेल्यूलोस, हैमीसेलूलोस, सुबेरिन आदि पदार्थों के जमाव के कारण होता है। संवहन का कार्य करने वाली कोशिकाओं जैसे वाहिकाओं में स्पष्ट स्थलन पाया जाता है। पादपों की मृदूतक, दृढ़ोतक, वाहिका वाहिनिका, चालनी नलिका, सहकोशिका आदि में स्थूलन सभी स्थानों पर समान मोटाई का होता है परन्तु कुछ विशेष स्थानों पर नहीं होता है जहाँ पर छिद्र या गर्त बन जाते हैं। ये गर्त (Pits) दो प्रकार के होते हैं- (अ) सरल गर्त (Simple pits) :- मृदूतक, चालनी नलिका, सहकोशिओं में दो आसन्न कोशिकाओं के बीच की कोशिका भित्ति में, जोड़ों में , आमने-सामने गर्त पाये जाते हैं जिनके बीच स्थित गर्त झिल...

कोशिका भित्ति संरचना एवं कार्य।

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  हेलो!दोस्तो आज हम बात करेंगे      कोशिका भित्ति{cell wall}  के बारे में। कोशिका भित्ति (Cell Wall) पादप कोशिकाओं का सुनिश्चित आकार दृढ़ बाह्य आवरण शक के कारण होता है। इस चरण को कोशिका भित्ति कहते हैं। इसका संगठन एवं प्रकृति इसके कार्य के अनुरूप अलग-अलग में अन होती है। जैसे कवकों की कोशिका भित्ति पोलिसैकेराइड काइटिन या कवक सेलूलोस से बनी होती है जबकि शैवाल कोशिका भित्ति सेलुलोज एवं पेक्टिन से बनी होती है। कोशिका भित्ति का गठन निम्न प्रकार से होता है -                                                  1. मध्य पटलिका (Middle lamella)         2. प्राथमिक भित्ति (Primary wall).                            3. द्वितीयक भित्ति (Secondary Wall).                        4. तृतीयक भित्ति (Tertiar...

प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकाओं का परिचय व अन्तर।

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हेलो!दोस्तो आज हम बात करेंगे प्रोकैरियोटिक एवं यूकैरियोटिक कोशिकाओं के बारे मे असीम केन्द्रक की व ससीमकेन्द्रकी कोशिकाएं(Prokaryotic and Eukaryotic cells) - विकास एवं केन्द्रक की संरचना के आधार पर कोशिका दो प्रकार की होती हैं- 1)प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं (Prokaryotic cells)- (Pro= प्रारम्भिक Primitive, Karyon=नाभिक nucleus) नील हरित शैवाल, जीवाणु एवं माइकोप्लाज्मा की कोशिकाओं में झिल्ली युक्त सुसंगठित केन्द्रक तथा झिल्ली युक्त कोशिकाओं का अभाव होता है। एक प्रोकैरियोटिक कोशिका में केन्द्रक समतुल्य अंगक को प्रोकैरियोन या केन्द्रकाभ (Nucleoid) कहा जाता है। आनुवंशिक पदार्थ एक वर्तुल (Circular) जीवाण्वीय गुणसूत्र के रूप में व्यवस्थित न्यूक्लिक अम्ल होते है। हिस्टोन प्रोटीन का अभाव होता है। इनमें सूत्री विभाजन नहीं पाया जाता है। सामान्यतः प्रोकैरियोटिक कोशिका का बाह्य आवरण (कोशिका आवरण) त्रिस्तरीय होता है:  (1) बाह्य परत (2) कोशिका भित्ति (5) जीवद्रव्य कला है। बाह्य परत ग्लाइको कैलिक्स से बनी होती है जो कठोर  आवरण के रूप में संपुटिका या कैप्सूल और ढीले या नरम  आव...

कोशिका का परिचय हिन्दी में।

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हेलो!दोस्तो आज हम बात करेंगे कोशिका के बारे में। जिस प्रकार कोई भी छोटा या बड़ा मकान असंख्य ईंटों व पत्थरों से बना होता है, उसी प्रकार प्रत्येक जीव का शरीर भी एक  या अनेक सूक्ष्म इकाइयों से निर्मित होता है। प्रत्येक जीवधारी के शरीर की निर्माणकारी एवं कार्यात्मक इकाई को विज्ञान की भाषा में कोशिका (Cell) कहते है। कोशिकीय अध्ययनों में प्रकाश  सूक्ष्मदर्शी व इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी तथा अन्य तकनीकों जैसे एक्स-रे विवर्तन (X-Ray diffraction ) स्पेक्ट्रमी प्रकाशमापी की (Spectrophotometry) आदि के आविष्कारों से अभूतपूर्व प्रगति हुई है। जीवन का वस्तुपरक अध्ययन करने के लिये उसकी  रचनात्मक इकाई अर्थात कोशिका की आधारभूत संरचना तथा  कार्य का ज्ञान आवश्यक है। कोशिकीय अध्ययनों के संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि उच्च तकनीकों के विकास के साथ ही यह  तथ्य भी कम महत्वपूर्ण नहीं है कि कई अध्ययनों जैसे कोशिका विज्ञान, आणविक जीव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी आदि के लिये वैज्ञानिकों ने वृहद शरीरधारी जीवों के बजाय सूक्ष्मजीवों को  अधिक उपयुक्त पाया है। सूक्ष्म जीवों का आसान रखरखाव, इ...